Sunday, May 18, 2008

फ़न--जीव धर्मा के कारनामे

यह है एक नई सीरीज़
फ़न--जीव एक बहुत ही अजीब इंसान है जो अपनी झंड करवाता है सब से यह सीरीज़ समर्पित है उस की बेवकूफी को ॥
सूचना: इस सीरीज़ के सभी पात्र और घटनाये काल्पनिक हैं । इन का किसी व्यक्ति , स्थान या घटना से कोई सम्भंद नहीं है । यही किसी व्यक्ति या घटना से इस की समनता होती है तोह इसे मात्र अक सयोग कहा जाएगा ।

फ़न--जीव एक बार एक पार्टी मैं आमंत्रित किए गए । उन का पहनावे का तरीका तोह सब को पता ही है ।
लगता था जैसे शर्ट पूचा लगाने के बाद बिना प्रेस किया पहन ली हो। तोह दरबान ने दरवाजे रूका और बोला कहाँ जाते हो? उस ने बोला मैं यहाँ पार्टी मैं आया हूँ। दरबान बोल बहुत अची तेरह से जानता हूँ तुम जैसे लोगो को , अपने कपड़े देखे हैं । साले मुफ्त का खाना खाने चले आते हैं । भाग यहाँ से नहीं तोह पुलिस को बुलाता हूँ
औकात नहीं है झाडू मारने की , आ गए पार्टी मैं जेब कतरे कहीं के , ऐसा मारूंगा
की नानी याद आ जायेगी ।
फ़न--जीव की जान निकल गयी सोचा अब तोह ढाबा भी बंद हो गया होगा कहाँ खाऊंगा । बड़े मुश्किल से दरबान से मिन्नत कर के अन्दर से चार केले ला कर दे दिए और उस ने अपने बन्दर स्टाइल मैं चुप चाप खा लिए और वहीं सो गया ।
तोह भाइयों यह था पहला कार नामा ............अपनी rai ज़रूर likhen ।

2 comments:

Ashish Agarwal said...

an ultimate piece of work...panditiji u r too creative...i luvd ur post

evil demon said...

maza aa gaya....
continue ur series....